काठमाडौं — नेपालका बैंक तथा वित्तीय संस्थाहरूमा कर्जाको गुणस्तर समस्या गहिरिँदै गएको देखिएको छ। प्रकाशित तथ्यांकभन्दा पनि वास्तविक अवस्था झन् जटिल रहेको नेपाल राष्ट्र बैंकको पछिल्लो विवरणले देखाएको छ।
कोभिडपछिको सहजीकरण, कर्जाको म्याद थपजस्ता नीतिले कर्जा तिर्ने शृंखलामा गम्भीर असर पुर्याएको छ। यसले बैंकहरूको मासिक रूपमा साँवा–ब्याज उठ्नुपर्ने अवस्थालाई कमजोर पारेर अब त्रैमासिक अन्त्यमा मात्रै भुक्तानी हुने प्रवृत्ति बढेको छ।
राष्ट्र बैंकको ताजा तथ्यांकअनुसार बैंकहरूले कुल कर्जाको १७।३९ प्रतिशत नियमित तिर्न नसकेको देखिएको छ। जसमा २।४८५ खराब, १।द्धद्ध५ शंकास्पद, ज्ञ।द्दद्द५ कमसल, र ११।८०५ सुक्ष्म निगरानीमा परेका कर्जा छन्।
कर्जा वर्गीकरण | प्रतिशत (%) | टिप्पणी |
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असल कर्जा (नियमित) | 82.61% | तिर्ने म्यादभित्र भुक्तानी भएका कर्जा |
सुक्ष्म निगरानी | 11.80% | 1–3 महिनासम्म भाखा नाघेका, वा जोखिमयुक्त ऋणी |
कमसल कर्जा | 1.22% | 3–6 महिनासम्म भाखा नाघेका कर्जा |
शंकास्पद कर्जा | 1.44% | 6 महिना–1 वर्षसम्म भाखा नाघेका कर्जा |
खराब कर्जा | 2.48% | 1 वर्षभन्दा बढी भाखा नाघेका कर्जा |
पुनर्संरचित/तालिकीकरण | 0.45% | कर्जाको अवधि फेरबदल गरिएको कर्जा |
कुल नियमित नभएको कर्जा | 17.39% | असल कर्जा बाहेकका सबै कर्जा वर्गहरू |
आर्थिक वर्ष | असल कर्जा (%) | खराब कर्जा (%) |
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२०७७ असार | 91.30% | 0.98% |
२०७८ असार | 92.95% | 0.76% |
२०७९ असार | 93.67% | 0.68% |
२०८० असार | 80.31% | 1.15% |
२०८१ असार | 84.35% | 2.19% |
२०८१ चैत | 82.61% | 2.48% |